स्प्रीचुअल इटेलीजेंस ही समस्याओं, परिस्थितियों में हमारा मार्गदर्शन करती है: डॉ. सारिका ठक्कर
चार दिवसीय राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन एवं रिट्रीट
माउंट आबू, राजस्थान। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के ज्ञान सरोवर परिसर में मीडिया विंग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन दूसरे दिन सुबह प्लेनरी सेशन आयोजित किया गया। आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता बनाम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (स्प्रीचुअल इंटेलीजेंस वायस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) विषय पर आयोजित सत्र में चैन्नई से आए प्राइम पाइंट फाउंडेशन के अध्यक्ष के. श्रीनिवासन ने कहा कि स्प्रीचुअल इटेलीजेंस से ही आर्टिफिशियल इटेंलीजेंस है। स्प्रीचुअल इटेलीजेंस के बिना हम आर्टिफिशियल इटेंलीजेंस की कल्पना नहीं कर सकते हैं। स्प्रीचुअल इटेलीजेंस हमारी भारतीय संस्कृति की धरोहर, महान संस्कृति और सभ्यता है।
निम्स यूनिवर्सिटी के जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की निदेशिका डॉ. सारिका ठक्कर ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्था महिलाओं द्वारा संचालित विश्व की सबसे बड़ी संस्था है। यहां सुचिता का स्वरूप दिखाई देता है। यहां केवल वस्त्र ही श्वेत नहीं हैं बल्कि आत्मा का स्वरूप भी निर्मल, पवित्र है। यहां हम सभी आत्मा का अध्ययन करने के लिए एकत्रित हुए हैं। भगवान केवल हमारा भाव देखता है लेकिन आर्टिफिशियल इटेंलीजेंस कितना भी आगे बढ़ जाए वह हमारी भावनाओं को नहीं समझ सकती है। स्प्रीचुअल इटेलीजेंस ही वह शक्ति है जो जीवन में आने वाली समस्याओं, परिस्थितियों से निपटने में हमारा मार्गदर्शन करती है।
मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक बीके निकुंज भाई ने कहा कि स्प्रीचुअल इटेलीजेंस से ही बच्चों में समझ शक्ति, भाव और भावनाओं का विकास होता है। इसलिए आज बच्चों को आर्टिफिशियल इटेंलीजेंस के ज्ञान के साथ-साथ स्प्रीचुअल इटेलीजेंस का ज्ञान देना बहुत जरूरी है। यदि बच्चों में नैतिक मूल्य, भाव, भावनाएं, संवेदनाएं, दया, ईमानदारी, सत्यता, धैर्यता आदि मूल्य नहीं हैं तो आर्टिफिशियल इटेंलीजेंस का कोई मूल्य नहीं है।
स्प्रीचुअल इटेलीजेंस के बिना सब अधूरा-
महाराष्ट्र जलगांव से आए केबीसी नार्थ महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सोमनाथ बड़नेरे ने कहा कि भविष्य में आने वाला समय ऐसा है कि मशीनें आपस में बैठकर विचार करेंगी कि मानव हमारे ऊपर हावी हो रहा है। हम कितना भी साइंस की तरक्की कर लें लेकिन स्प्रीचुअल इटेलीजेंस के बिना सब अधूरा है।
उत्तराखंड देहरादून से आए वरिष्ठ पत्रकार कुंवर राज अस्थाना ने कहा कि आज ज्ञान का भंडार हमारी मुट्ठी में आ गय है। इस ज्ञान सागर से हमें क्या लेना है, क्या नहीं यह हमारी बुद्धिमत्ता के ऊपर है। सामाजिक मूल्य हमें सिखाता है कि हम नई-नई चीजों का उपयोग, तकनीक का उपयोग सामाजिक हित, लोक हित में कैसे करें।
आत्मिक मेधा बढ़ाने से आएगी खुशी-
जयपुर से आईं जोनल को-आर्डिनेटर बीके चंद्रकला बहन ने कहा कि आध्यात्मिक मूल्य हमें समझने की शक्ति देते हैं। एक-दूसरे के भावों को सुनने, समझने की शक्ति देते हैं। लेकिन एआई इन भावों को नहीं समझ सकता है। आत्मिक मेधा बढ़ाने से ही हमारे अंदर खुशी आती है। हमें परमात्मा के ध्यान की ओर अपने आप को बढ़ाना होगा। जब कोई अच्छा कार्य करता है तो हमें उसे दुआएं देते हैं लेकिन यह कार्य मशीन नहीं कर सकती है। संचालन मुख्यालय संयोजिका बीके चंदा बहन ने किया।
मल्टीमीडिया निदेशक बीके करुणा भाई सम्मानित-
सम्मेलन में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर की ओर से उप कुलपति डॉ. श्रीगोपाल नारसन द्वारा मीडिया विंग के अध्यक्ष राजयोगी बीके करुणा भाई को वैश्विक सकारात्मक पत्रकारिता प्रेरक व्यक्तित्व सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता और पत्रकारिता में मूल्यों को बढ़ावा देने पर प्रदान किया गया।
Spiritual Intelligence vs. Artificial Intelligence – this was the topic of the second Plenary session of the 2024 Media Conference themed: Vision and Values for a New Social Order organized by the Brahma Kumaris at their Gyan Sarovar campus, Mt. Abu.
The session started with Bro. K Srinivasan, Chairman, Prime Point Foundation, Chennai providing a wide overview of the AI landscape – the tools and techniques- and how it can help journalists. With that foundation, the rest of the panelists including Bro. B.K Nikunj, National Coordinator, Media Wing, RERF, Mumbai, Dr. Sarika Takhar, Director, Journalism & Mass Communication, NIMS University, Noida, Dr. Somnath G. Vadnere and Bro. K.R. Ashthana talked about the need for balance between Artificial Intelligence (AI) and Spiritual Intelligence (SI). AI is good with helping us with repetitive tasks, it can even write essays, build images etc. but what it cannot do, they pointed out, is feel. If a child was rude to their mother and wants to make things right, the AI bot wouldn’t be able to advise the child as to how to do that, Bro. Nikunj said, driving home the point about where AI falls short. To learn how to maintain loving relationships, to learn how to make things right, to build character and personality, one needs spiritual intelligence, the speakers agreed.
The session concluded with words of inspiration from Sis. B.K. Chandrakala, Zonal Coordinator, Media Wing, RERF, Jaipur who emphasized that while it is okay for us to use the latest technology and tools, it is not okay for technology to use us. It is not okay, she said, to become so dependent on them for everything that we find ourselves unable to think or do anything on our own. This is the alarming part, she said, as she noted that tech cannot understand our uniqueness; it therefore provides everyone the same answers without appreciating our specific needs. The One who understands each soul’s uniqueness and can help each one is the Supreme Father, she said. When we connect with him, we emerge the peace, love, courage, and strength within; we become empowered. Then, she said, we will be better positioned to use technology and tools the right way.
The event has been organized by the Media Wing of the Rajayoga Education and Research Foundation (RERF), a sister organization of the Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya. The Media Wing has taken up the challenge to awaken public interest in spirituality, as found in the teachings of Rajayoga. It also works towards to the practice and promotion of positive and value-based journalism by media persons in print, electronic, cyber, traditional, and promotional media services.