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श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली

सभी को साथ लेकर राजस्थान के विकास के किए काम करूंगा - राज्यपाल श्री बागडे

राजस्थान के मनोनीत राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने बुधवार को राजभवन में राजस्थान के राज्यपाल पद की शपथ ली। श्री बागड़े ने हिन्दी में ईश्वर के नाम पर राज्यपाल पद की शपथ ली।

मुख्य न्यायाधिपति श्री मनिन्द्र मोहन श्रीवास्तव ने श्री बागड़े को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई। मुख्य सचिव श्री सुधांश पंत ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा जारी राज्यपाल की नियुक्ति का वारंट पढ़कर सुनाया। शपथ लेने के बाद राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागड़े को राजभवन में गार्ड ऑफ ऑनर पेश किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी, उप मुख्यमंत्री सुश्री दीया कुमारी, डॉ. प्रेमचंद बैरवा, केन्द्रीय मंत्रीगण, राज्य मंत्री मण्डल के सदस्यगण, विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता श्री टीकाराम जूली तथा अन्य जन प्रतिनिधिगण, न्यायाधीशगण, प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारीगण सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

राज्यपाल श्री हरिभाऊ किसनराव बागडे ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में गांव—गरीब और कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कार्य करने का निरंतर प्रयास रहा है। राजस्थान में भी अब सभी को साथ लेकर काम करूंगा। प्रयास रहेगा कि राजस्थान सभी क्षेत्रों में अग्रणी बने। राज्यपाल श्री बागडे मुख्यमंत्री निवास में अभिनंदन- वंदन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि श्री कलराज मिश्र ने संविधान जागरूकता के लिए जो नवाचार किए वह बहुत महत्वपूर्ण है। प्रयास करूंगा कि उनके कार्यों को आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने कहा कि सहकारिता, पशुपालन, डेयरी, शिक्षा, ग्रामीण विकास एवं कमजोर तबके के लोगों के उत्थान में मेरी विशेष रूचि रही है। प्रयास करूंगा कि राज्यपाल रहते हुए इन क्षेत्रों में काम करते हुए राजस्थान को विकास की राहों पर ले जाया जाए। राज्यपाल ने अपने अभिनंदन के प्रति आभार जताते हुए कहा कि सहकारिता का अर्थ ही है मिल—जुल कर कार्य करें।  इसी सोच से भविष्य में कार्य होगा। उन्होंने राजभवन में बने संविधान पार्क की चर्चा करते हुए कहा कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष रहे। वह महाराष्ट्र से ही थे।
उन्होंने पंडित दीनदयाल जी को स्मरण करते हुए कहा कि उनके साथ तीन दिन रहने का सौभाग्य मिला। जनसंघ का  1967 में अधिवेशन था, उसमें माननीय दीनदयाल जी आए थे।  तब उनकी सेवा का और साथ रहने का अवसर मिला। सार्वजनिक जीवन में रहते सदा गांव गरीब के लिए कार्य करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि दुग्ध व्यवसाय के लिए आरंभ से हमने कार्य किया। दूध के विपणन के लिए रणनीति बनाकर कार्य किया। पशुपालन, खेती से, सहकारिता से कैसे आम जन का कल्याण हो, इस पर कार्य किया जाए।

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