दूसरा वी.एन. बहादुर मेमोरियल व्याख्यान : ‘विकसित भारत – शासन में रूपांतरण’ आयोजित
जयपुर: दूसरा वी.एन. बहादुर मेमोरियल व्याख्यान इस वर्ष श्री वी. श्रीनिवास (आईएएस) द्वारा दिया गया, जिनका विषय था ‘विकसित भारत – शासन में रूपांतरण’। श्री वी. श्रीनिवास वर्तमान में भारत सरकार में प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग एवं पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
अपने व्याख्यान में उन्होंने नागरिक-केंद्रित शासन में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। इनमें CPGRAMS को दुनिया के सबसे बड़े नागरिक इंटरफेस प्लेटफॉर्म में बदलने, पेंशनभोगियों को डिजिटल सशक्तिकरण, देशव्यापी ‘प्रशासन गाँव की ओर’ अभियान, निर्णय लेने की दक्षता बढ़ाने की पहल, स्वच्छता को संस्थागत बनाने और लंबित मामलों को कम करने के लिए विशेष अभियानों जैसे कार्य शामिल हैं।
अपने अनुभव साझा करते हुए श्री श्रीनिवास ने कहा, “मैंने 2019-2024 के बीच शासन में प्रौद्योगिकी क्रांति लाने के लिए किए गए व्यापक कार्यों का संकलन किया है, जिससे लाखों भारतीय पारदर्शिता, त्वरित निष्पादन, और गुणवत्तापूर्ण निर्णय लेने के लाभ उठा सके हैं।”
उन्होंने इस व्याख्यान के दौरान श्री विष्णु नारायण बहादुर के जीवन के विविध पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने दिन-प्रतिदिन के कार्यों में श्री बहादुर से मिली प्रेरणा और प्रोत्साहन को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्री विष्णु नारायण बहादुर 1965 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी थे। उनकी पहली पोस्टिंग 1967 में पोकरण में उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) के रूप में हुई। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे कि बिक्री कर आयुक्त, निदेशक हरीश चंद्र माथुर राजस्थान लोक प्रशासन संस्थान (एचसीएम आरआईपीए), चिकित्सा सचिव, गृह सचिव, और अतिरिक्त मुख्य सचिव। केंद्र सरकार में उन्होंने रक्षा मंत्रालय सहित कई विभागों में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी और हिमालय पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) के सचिव के रूप में भी कार्य किया।
श्री बहादुर एक लेखक भी थे और उनकी पुस्तक ‘राजस्थान की बावड़ियाँ’ का दूसरा संस्करण इस कार्यक्रम के दौरान लॉन्च किया गया।
श्री बहादुर की स्मृति को संजोने के लिए यह व्याख्यान हर वर्ष आयोजित किया जाता है। उनकी पत्नी मीना बहादुर और बेटी डॉ. इति बहादुर ने बताया कि यह व्याख्यान उनके ज्ञान और अनुभव को जीवंत रखने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा, “हम हर वर्ष उनकी रुचि के विषयों पर विशेषज्ञों को आमंत्रित करेंगे, ताकि उनकी स्मृतियों को सजीव रखा जा सके।” कार्यक्रम के दौरान मित्रों द्वारा उनकी स्मृतियों को सम्मानपूर्वक याद किया गया।