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जनवरी ऑफ जयपुर: प्रकृति, परंपरा और संगीत का उत्सव – अंशु हर्ष

जनवरी को जब इतने ख़ूबसूरत अंदाज़ में मनाया जाता है  लगता है कि हर महीना जनवरी ही रहे और ये उत्सव ये मौसम ज़िन्दगी में ऐसे ही बना  रहे। जयपुर की जनवरी ,  मानो सर्द हवाओं की मीठी थपकी और धरती पर उतरते कोहरे ने जयपुर को एक नए रंग में रंग दिया हो। इस गुलाबी मौसम की ठंडी हवाएं मन को  ताजगी और उमंग से भर देती हैं। जयपुर की हर गली, हर महल और हर किला इस मौसम में जैसे एक नई ऊर्जा से जगमगा उठता है।

जब जयपुर में जनवरी का जादू अपने चरम पर होता है, तो यहां के लोग इसे और भी यादगार बनाने के लिए उत्सवों और सांस्कृतिक आयोजनों का सहारा लेते हैं। इस मौसम में जय महल होटल की चारदीवारी के भीतर जब सुरों की महफिल सजी, तो संगीत और मौसम का यह संगम अद्वितीय था। गायिका कविता सेठ और अनवर खान मांगणियार के सुरों ने जैसे रात की ठंडक को मधुरता से भर दिया। हर सुर, हर लय एक नया जादू बिखेर रही थी। इस संगीतमय शाम को और भी खास बनाने का श्रेय जाता है मंजरी-संदीप भूतोड़िया और विन्नी-सौरभ कक्कड़ को, जिन्होंने अपनी कल्पनाशीलता और मेहनत से इस आयोजन को सजाया।

संदीप भूतोड़िया का नाम कला और साहित्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी पहल और प्रयासों ने कला, साहित्य और संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया है। उन्होंने हमेशा से ही कलाकारों और साहित्यकारों को प्रोत्साहन देने का कार्य किया है। प्रभा खेतान फाउंडेशन न केवल साहित्य और कला के प्रति समर्पित है, बल्कि यह नए और उभरते हुए कलाकारों और साहित्यकारों को भी मंच प्रदान करता  है। ठंडी जनवरी उनके योगदान से सजी इस संगीतमय शाम ने न केवल जयपुर की सांस्कृतिक विरासत को निखारा, बल्कि इसे आने वाले समय के लिए यादगार बना दिया।

सुबह के समय जब कोहरा जयपुर को अपने आगोश में ले लेता है और सूरज की पहली किरण कोहरे को चीरती है, तो ऐसा लगता है मानो स्वर्णिम प्रकाश धरती पर उतर आया हो। इस दृश्य की चमक जयपुर की ऐतिहासिक दीवारों, महलों और ओस से भीगी गलियों पर पड़ती है। नाहरगढ़, आमेर और जयगढ़ जैसे किले इस गुलाबी मौसम में और भी भव्य और मनोरम लगते हैं। ठंड में पहाड़ियों के बीच सूरज के डूबने का नज़ारा एक अद्वितीय अनुभव देता है।

जनवरी का जयपुर न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से सराबोर होता है, बल्कि सांस्कृतिक उत्सवों और परंपराओं से भी जीवंत हो उठता है। पतंगों से भरा आसमान, बाजरे की रोटी और सरसों के साग की खुशबू, गजक और तिलपट्टी का स्वाद, और कुल्हड़ में गर्म चाय—ये सब इस मौसम के आनंद को दोगुना कर देते हैं।

राजस्थान की यह खासियत है कि यहाँ हर मौसम का एक अलग अंदाज़ है। जनवरी में यह अंदाज़ अपने चरम पर होता है। यह समय न केवल जयपुर की खूबसूरती को और निखारता है, बल्कि यहां के लोगों के दिलों में एक स्थायी छाप छोड़ जाता है। जनवरी का जयपुर न केवल एक शहर, बल्कि एक अनुभव है—प्रकृति, इतिहास और आधुनिकता का अनोखा संगम।

  • अंशु हर्ष

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