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रिफ सीजन – 11 का दूसरा दिन – ओटीटी प्लेटफॉर्म से निखर कर सामने आई कई प्रतिभाओं

– बेहतर कंटेंट के बिना ओटीटी प्लेटफॉर्म पर टिकना मुश्किल
– दूसरे दिन भी करीब 12 फिल्मों का हुआ प्रदर्शन

फिल्म सोसाइटीज ऑफ इंडिया (FFSI) नॉर्थ रीजन से मान्यता प्राप्त राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के 11वें संस्करण के दूसरे दिन रविवार को करीब एक दर्जन हिंदी और गुजराती फिल्मों की स्क्रीनिंग की गई वही ” OTT Raga- Crafting Stories in the Streaming Era ” विषय पर टॉक शो का आयोजन किया गया। फ़िल्म आलोचक अजीत राय की मेजबानी में आयोजित स्टॉक शो में कई विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखें अजीत राय ने कहा कि पिछले कुछ सालों में स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म की संख्या तेजी से बढ़ी है। ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े अतुल पांडे ने बताया कि वर्तमान में जिस तरह से ओटीटी प्लेटफॉर्म युवाओं की पसंद बन रहा है , वह अच्छे संकेत है, लेकिन ओटीपी प्लेटफार्म पर दर्शकों को आकर्षित करने के लिए आपके पास बेहतर कंटेंट होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज के दर्शक पहले 3 मिनट में ही यह निर्णय कर लेते हैं कि यह कंटेंट उन्हें कनेक्ट करता है या नहीं। यदि पहले 3 मिनट में दर्शकों को कंटेंट पसंद नहीं आया तो वह वहां से दूसरी जगह स्विच करेगा , इसके लिए टेक्नोलॉजी मायने नहीं रखती, बल्कि जो स्क्रिप्टिंग की जाती है वह दमदार होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ओटीटी पर सेंसर नहीं है और हम उम्मीद करते हैं कि यह आगे भी जारी रहेगा। टॉक शो पैदल सदस्य अभय प्रवीण गुप्ता ने कहा कि ओटीटी ने फिल्मी दुनिया में कई लोगों को एक नई पहचान दी है। यदि ओटीटी प्लेटफॉर्म नहीं होता तो कई प्रतिभाशाली स्क्रिप्ट राइटर ,निर्माता, निर्देशक, कैमरामैन शायद अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाते। कर्नल हर्षवर्धन पांडे ने बताया कि राजस्थान के फिल्मकारों के पास हमेशा बेहतर कंटेंट रहा है, पहले टीवी शो में काम करना छोटा माना जाता था, लेकिन आज जिस तरह से ओटीटी ने अपना स्थान हासिल किया है, उसके बाद अब कई फिल्म निर्माता सिनेमा हॉल के साथ-साथ ओटीटी पर भी अपनी फिल्मों का प्रदर्शन कर रहे हैं। पैनल सदस्य मानसी दाधीच ने कहा कि एक जमाना था जब फिल्म देखना एक उत्सव के बराबर होता था, खासतौर से महिला और लड़कियों को फिल्म देखने की स्वीकृति लेने के लिए काफी प्रयास करने पड़ते थे , लेकिन आज समय बदल रहा है। एआई के उपयोग में आने वाले दिनों में आपको अपने मूड के अनुसार कंटेंट मिलेगा। अमेरिका की आज दर्शन काफी सजग है। पहले केवल कलाकार के नाम पर ही फिल्में हिट हो जाती थी, लेकिन अब यदि आपकी स्टोरी में कोई कंटेंट नहीं होगा तो वह फिल्म हिट नहीं हो सकती है।

आज इन फिल्मों का हुआ प्रदर्शन
डायरेक्टर रिफ ने बताया कि रविवार को डॉक्यूमेंट्री-शॉर्ट फिल्म ” लॉक अप ” का प्रदर्शन किया गया। है, जिसका निर्देशन नीनी कैरोलिना ने किया है।फिल्म जेल के अंदर कैदियों के जीवन को दर्शाती है, जहाँ वे सामाजिक बहिष्कार, अन्याय और जेल व्यवस्था की कठोर सच्चाई का सामना करते हैं। यह डॉक्यूमेंट्री उन लोगों की कहानियाँ उजागर करती है जो सुधार की चाहत रखते हैं लेकिन कानूनी और सामाजिक बेड़ियों में जकड़े होते हैं। इसमें कैदियों, जेल अधिकारियों और उनके परिवारों के दृष्टिकोण को शामिल किया गया है, जिससे दर्शक जेल प्रणाली की जटिलताओं को समझ सकें।

“द लाइट”
एक एनिमेशन शॉर्ट फिल्म है, जिसका निर्देशन प्रसाद अजगणोकर ने किया है।
फिल्म एक ऐसे चरित्र की कहानी प्रस्तुत करती है जो अंधकारमय दुनिया में रहता है। वह एक दिन एक रहस्यमय रोशनी देखता है और उसकी ओर आकर्षित होता है। उस रोशनी का पीछा करते हुए, वह विभिन्न चुनौतियों और बाधाओं का सामना करता है। अंततः, वह समझता है कि वास्तविक रोशनी उसके भीतर ही है, और आत्म-खोज की इस यात्रा में वह आत्मज्ञान प्राप्त करता है।

“नॉट”

फिल्म की कहानी एक युवा जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने रिश्ते में बढ़ती दूरियों और गलतफहमियों का सामना कर रहे हैं। उनके बीच की यह ‘गांठ’ समय के साथ और जटिल होती जाती है, जिससे उनके संबंधों में तनाव बढ़ता है। फिल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे संवादहीनता और अहंकार रिश्तों में दरार पैदा कर सकते हैं, और इसे सुलझाने के लिए समझ, धैर्य और संवाद की आवश्यकता होती है।

Mukti – The Redemption

त्रिलकुशाल अपनी रोजमर्रा की नीरस ज़िंदगी से तंग आ चुका है। उसकी पत्नी और बच्चे उसे मजाक का पात्र बनाते हैं, और उसका बॉस उसे रोज़ डांटता है। अपनी साधारण जिंदगी से थककर, वह ईश्वर से मुक्ति की तलाश करता है।

“बाज़”

“बाज़: एक लघु फिल्म जो मानव संघर्ष और विजय की गहराइयों को उजागर करती है”

बाज़ – में एक यात्रा के माध्यम से, दर्शक एक विचारोत्तेजक सफर पर निकलते हैं जो मानवीय अनुभव की जटिलताओं को बारीकी से जोड़ता है। यह कथा संघर्ष, आशा और विजय की थीम में गहराई से उतरती है, ऐसे पात्रों को प्रस्तुत करती है जिनकी कहानियां गहराई से और प्रामाणिक रूप से प्रतिध्वनित होती हैं। सिंह के कुशल निर्देशन से ये पात्र जीवन्त हो उठते हैं, जिससे हर दृश्य दर्शकों को आकर्षित और प्रेरित करता है, उन्हें अपने स्वयं के अनुभवों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।

“प्लॉट नंबर 302:

फिल्म की कहानी एक ऐसी लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एचआईवी संक्रमित है। समाज, बिना उसके पीछे के कारण को जाने, उसे बहिष्कृत कर देता है। उसकी मृत्यु के बाद, पुलिस तहकीकात करती है, जिससे फिल्म में सस्पेंस बढ़ता है। यह फिल्म एचआईवी जैसे सामयिक और सामाजिक मुद्दे को प्रमुखता से प्रस्तुत करती

“द बुक रिवाइवल: खोए हुए अतीत की रहस्यमयी खोज”

यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपनी राह खो दी है। वह अपने अतीत के बिखरे हुए टुकड़ों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है। इसी सफर में उसे एक रहस्यमयी किताब मिलती है, जो उसके जीवन के अंतिम क्षणों में एक नया मोड़ ला सकती है।

एक आदमी जिसने अपनी राह खो दी है, वह अपने पूर्व स्व की बची-खुची यादों के बीच सफर कर रहा है। इसी दौरान, वह अपनी आखिरी घड़ियों में एक रहस्यमयी किताब से टकराता है।

‘गुड्ड की ढाणी’

एक युवा और उत्साही यूट्यूबर, आदित्य विज, राजस्थान के कुख्यात गाँव ‘गुड्ड की ढाणी’ आता है, जो अपनी भूतिया कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। वह इन कहानियों की सच्चाई जानना चाहता है। गाँव में पहुँचने पर, वह सरपंच से मिलता है जो उसे ठहरने की व्यवस्था करता है, और रविशंकर नामक व्यक्ति उसे गाँव का दौरा कराने का वादा करता है। हालाँकि, गाँव में रात के समय बाहर निकलने की सख्त मनाही है। लेकिन जिज्ञासावश, आदित्य रात में बाहर जाकर भूत की सच्चाई जानने की कोशिश करता है।

“फिल्म ‘अप्सरा’: जोधपुर की यात्रा और आत्म-खोज की कहानी”

अप्सरा एक बेफिक्र लड़की है जो जोधपुर शहर की खोज में निकली है। वह एक छोटे से गाँव से आती है। इस यात्रा के दौरान उसकी मुलाकात ऋषि से होती है, जो एक ट्रैवल गाइड है। वे पूरा दिन साथ बिताते हैं और एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। लेकिन अब अप्सरा को अपने घर लौटना है। वह अब इतनी बड़ी हो गई है कि अपनी सच्चाई का सामना कर सके।

“सुम्मा: द फ्लावर” – आस्था बनाम अंधविश्वास पर आधारित कन्नड़ फिल्म

इस फिल्म की कहानी चिकित्सा जगत की प्रगति को दर्शाती है, जहां हर समस्या का समाधान मौजूद है। यह फिल्म लोगों को अंधविश्वास से बचने और विज्ञान में विश्वास करने का संदेश देती है।

‘चायवाला गाय’:

सपनों की कीमत और जादुई सफर की कहानी
हमारा नायक, एक आकर्षक चायवाला (चाय विक्रेता), शैतान से सौदा करता है ताकि दुनिया की सारी दौलत हासिल कर सके। लेकिन जल्द ही उसे एहसास होता है कि जीवन में कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता। आखिरी उम्मीद के रूप में, वह एक रहस्यमयी जादूगर से मदद मांगता है। इसके बाद जो होता है, वह एक जादुई यात्रा है, जिसमें कई उतार-चढ़ाव और ढेर सारा ड्रामा शामिल है!

‘पुरानी परिचित’

– नीना मुंबई के उपनगरों में अकेली रहने वाली एक कामकाजी महिला है। उसका जीवन महानगरीय शहर की लय में सधा हुआ है और वह ऑफिस और घर के बीच झूलती रहती है। एक दिन, उसकी दिनचर्या तब टूट जाती है जब उसका एक पुराना भूला-बिसरा दोस्त उससे मिलने आता है। आएशा के आने से पुरानी यादें, असहज सवाल, मामूली बहसें और अधूरी टकराहटें सामने आ जाती हैं। नीना अपने विचारों में खोने लगती है, जबकि आएशा अपनी यादों का एक अलग तानाबाना बुनती है।

‘भक्ति करता’

एक 6 मिनट का म्यूजिक एल्बम है, जिसका निर्देशन खुशाल भाटी और इंद्रजीत पंवार ने किया है, और इसे अजय पुरोहित ने प्रोड्यूस किया है। हाल ही में, इस फिल्म को राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (RIFF) में आधिकारिक चयन के रूप में मान्यता मिली है। फिल्म का एक टीज़र उपलब्ध है, जो राजस्थान की भक्ति रस और संगीत की धुनों को प्रस्तुत करता है।
हालांकि, उपलब्ध स्रोतों में फिल्म की कहानी के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है।

आज इन फिल्मों का होगा प्रदर्शन

रिफ के तीसरे दिन सोमवार को भी विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा। फाउंडर रिफ अंशु हर्ष ने बताया कि सुबह 9 बजे गुजराती और हिंदी फिल्म “टोकरी”, सुबह 9:50 बजे: लघु फिल्म “दो चार दाने”, सुबह 10:20 बजे: “मिहारी बिंदानी”, दोपहर 12 बजे: “हर फियर”, दोपहर 12:10 बजे: “अट्टा 2”, दोपहर 2:10 बजे: “मैं थांसू दूर नहीं – महाराजा हनवंत सिंह की विरासत”, शाम 4 बजे: “छोटी सी उमर” (म्यूजिक एल्बम),शाम 4:05 बजे: “ट्रैवलिंग थ्रू द इम्पॉसिबल रोड”, शाम 4:25 बजे: “आवकारा”, शाम 6:25 बजे: “ए सीक्रेट प्लेग्राउंड”, शाम 6:30 बजे: “चौधराइन”, रात 7:40 बजे: “रिश्ते” (वेब सीरीज), रात 8:05 बजे: “सिकार”, रात 10:35 बजे: “रॉटेन सोसाइटी” का प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं दोपहर 3 बजे ओपन फोरम (टॉक शो) होगा ।

 

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