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मजलिस की “शाम-ए-शब्द” में ‘आर्टिस्ट ज़िंदा है’ प्रतियोगिता का भव्य आयोजन

मजलिस की पेशकश “शाम-ए-शब्द” ने अपने मूल उद्देश्य कला और कलाकार को हर रूप में सम्मान देने के संकल्प को और सशक्त करते हुए अपनी विशिष्ट प्रतियोगिता ‘आर्टिस्ट ज़िंदा है’ का आयोजन प्रतिष्ठित “स्पाइस कोर्ट” में किया। प्रतियोगिता में 17 प्रतिभागियों ने भुला दिए गए गीतकारों के कार्यों को गहन शोध के बाद प्रस्तुत किया। किसी ने उनकी कालजयी रचनाओं को स्वरबद्ध कर सुनाया, तो किसी ने उनके जीवन के अनछुए किस्से साझा कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कुछ प्रतियोगियों ने गीतकारों के जीवन से जुड़े ऐसे चौंकाने वाले तथ्य प्रस्तुत किए, जिनसे कलाकारों के अदृश्य संघर्ष और योगदान को एक नई रोशनी मिली।

कार्यक्रम के निर्णायक मंडल में वरिष्ठ साहित्यकार अंशु हर्ष, चर्चित कवि एवं लेखक लोकेश कुमार सिंह (साहिल) तथा सुप्रसिद्ध समीक्षक विनोद भारद्वाज उपस्थित रहे। उनके गहन मूल्यांकन के आधार पर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान रेशमा जी ने प्राप्त किया, द्वितीय स्थान पर राजेश जी रहे, जबकि चेतना जी और सत्येंद्र जी ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान हासिल किया। मजलिस “शाम-ए-शब्द” की स्थापना मई 2024 में दीपा माथुर, अभिषेक मिश्रा, वरुण भंसाली, निखिल कपूर, विजय गोलछा और रिया मनोज द्वारा की गई थी। फोरम की नींव एक स्पष्ट उद्देश्य के साथ रखी गई थी  कला और कलाकार को हर संभव मंच देना। आज, एक वर्ष के भीतर, इस मंच से 60 से अधिक सदस्य जुड़ चुके हैं। हर माह तय की गई एक थीम के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों में 15 से अधिक कलाकार कविता, गीत, और अन्य प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी कला का सम्मानपूर्वक प्रदर्शन करते हैं।

“शाम-ए-शब्द” ने साबित कर दिया है कि सच्ची कला समय के गर्त में खोने की बजाय, सही मंच मिलने पर फिर से निखर कर सामने आती है।

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