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मानस रामलीला के सजे अद्भुत मंच पर जीवन्त हुआ मानस का हर रोचक प्रसंग

कलाकारों ने भाव-भंगिमाओं और रोचक अभिनय से किया जन समूह को मंत्र-मुग्ध

जोधपुर। रामलीला आयोजन समिति द्वारा 25, 26 तथा 27 अक्टूबर को आदर्श विद्या मंदिर, केशव परिसर में लाईट एंड साउंड के नवीनतम अत्याधुनिक प्रयोग पर आधारित सम्पूर्ण मानस रामलीला के नाट्य मंचन के प्रथम दिन का शहर व क्षेत्रवासियों ने  जोश, प्रेम व उत्साह के साथ भव्य स्वागत किया। इस हाइटेक बहु-मंचीय रामलीला की शुरुआत हनुमान चालीसा के सामूहिक वाचन के पश्चात की गई। परिसर में दर्शकों का प्रभु श्री राम के प्रति समर्पण एवं आस्था का माहौल देखते ही बन रहा था। निर्देशक युगल स्वाति – अरु व्यास के निर्देशन, अयोध्या प्रसाद गौड़ के लेखन तथा सुव्यवस्थित स्क्रिप्ट के माध्यम से पहली बार परंपरा व आधुनिकता के संगम को मूल रामकथा से छेड़छाड़ किए बिना भव्य रूप में प्रस्तुत किया गया।

सामूहिक हनुमान चालीसा के पाठ के मंगलाचरण ने सबको भिगोया भक्ति रस में

रामलीला के मंचन के प्रारंभ में सबने सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया तब सभी दर्शक भक्तिरस में सराबोर हो गए। उस समय सभी ने पूर्ण एकाग्रता से पांडाल में राममय होकर हनुमान चालीसा का मंगलाचरण किया। संतों ने इस महान आध्यात्मिक कार्यक्रम के निर्बाध व रोचक परिणति की प्रार्थना की।

दर्शकों ने विशाल रंगमंच के दृश्यों में हर रस का आनन्द लिया

जल समूह में बहती नाव, उसमें चलते चप्पू, गूंजती वैदिक ऋचाओं के बीच मयूरों की आवाज, समुद्र की अथाह जलराशि के दृश्य ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो वे वास्तविक हों। रामानन्द सागर द्वारा निर्देशित रामायण में श्री राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोयल की वाणी ने किरदार को जीवंत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

जीवंत नाट्य मंचन को चारों ओर से मिली जन-समूह की वाहवाही

सम्पूर्ण रामायण के घटनाक्रमों को कलाकारों ने अपने बेहतरीन अभिनय, डायलॉग डिलीवरी एवं भाव-भंगिमाओं से नाट्य रूप में कुछ ऐसे जीवंत किया कि परिसर में बैठे दर्शक वाहवाही करे बिना न रह सके। ऐसे ही दृश्यों में दशरथ के कैकेयी को दिए वचन को निभाने के लिए वनवास जाने का निर्णय ले चुके श्री राम के साथ सीता माता का जाना और लक्ष्मण का हठ कर उनके साथ जाने का दृश्य जहाँ हृदय कचोटने वाला था, वहीं राम-भरत मिलाप ने लोगों को भीतर तक भावुक कर दिया। “जाना था गंगा पार प्रभु को केवट की नाव चढ़े-वनवास जाने के दौरान केवट की नाव में श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण का गंगा पार जाने का दृश्य बेहद लुभावना रहा। प्रकाश व ध्वनि के तालमेल तथा संयोजन से प्रत्येक दृश्य जीवंत रूप में दर्शकों के सामने मनमोहक ढंग से प्रस्तुत किया गया।

विशेष अतिथियों रूप के रूप में इन सब का रहा सानिध्य

इस सम्पूर्ण मानस रामलीला के माध्यम से प्रभु श्री राम की जीवन गाथाओं के नाट्य मंचन का जीवंत दर्शन करने के लिए बतौर विशेष अतिथि रामप्रसाद जी महाराज, अमृताराम, श्री 1008 श्री पुरुषोतम दास महाराज, श्री 1008 स्वामी रामानन्द महाराज, श्री हरीराम महाराज, श्री शान्तेश्वर महाराज, देवेन्द्र सालेचा, श्री दिव्येश मुनि स्वामी, श्री निखिलात्मा जगन्नाथ महाराज, श्री रुपचन्द महाराज, श्री गोस्वामी सुशील महाराज, श्री राधा किशन महाराज, गजेन्द्र सिंह शेखावत, जोगाराम पटेल, अविनाश गहलोत, झाबर सिंह, श्रीमती कुंती देवड़ा, वनिता सेठ, डॉ. राम गोयल, डॉ. संजय मकवाना, सुरेश राठी, सुरेश व्यास, श्याम बाहेती, अशोक पँवार, राधेश्याम रंगा, डॉ. निर्मल गहलोत, पी. पी. चौधरी, देवेन्द्र जोशी, किशन जी, महेंद्र राठौड़, ओम जी सोनी, गोपी किशन मालानी, आलोक श्रीवास्तव, रवींद्र बोथरा, संदीप सिंह, शैलाराम, दामोदर दास लोहिया, महावीर चौपड़ा, पारसमल जैन, हरीश लोहिया, अशोक गहलोत, कैलाश विश्नोई, सुनील तलवार, नरपत साँखला, विमल सोनी, सत्यनारायण धूत, देवेन्द्र बुड़िया, जयप्रकाश अग्रवाल, सोहन भूतड़ा, रूपचंद साहेब, योगेंद्र जी, मंगला राम, रवि जी, डॉ. लालसिंह राजपुरोहित, तरुण गहलोत, राजेन्द्र सालेचा, ओमप्रकाश जी, रक्षित राठी, रामसिंह चारण, मनोहर टाक, मनोज हिंगर, विपिन पँवार, प्रेम जालानी, नरपत सिंह राजपुरोहित, बलवीर जैन, हंसराज बाहेती, सुरेश विश्नोई तथा मृदुल सालेचा, वरुण धनाढिया परिसर में उपस्थित रहे।

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