
जयपुर। मदर्स वाइव्स ने आज मदर्स डे के मौके पर एक शानदार और भावुक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसका नाम था “द जॉयफुल मदर: रीक्लेमिंग पीस, पावर एंड पर्पज़”। इस खास आयोजन में 100 से भी ज़्यादा माँओं ने हिस्सा लिया और मातृत्व के खूबसूरत एहसास को एक साथ महसूस किया। कार्यक्रम की शुरुआत एक ऐसे पल से हुई जिसने सभी को देशभक्ति और संवेदना से भर दिया। पहलगाम में शहीद हुए पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद, नई नवेली दुल्हनों से लेकर गर्भवती महिलाओं और अनुभवी माताओं तक, हर किसी ने मिलकर मातृत्व की सच्ची भावना को जिया।
इस मौके को और भी यादगार बना दिया 94 साल की कुसुम अरोड़ा ने, जो कार्यक्रम में स्पेशल गेस्ट थीं। इतनी उम्र में भी उनका जोश और उत्साह देखने लायक था। उन्होंने एक प्यारा भजन भी गाया, जिससे सभी महिलाओं को यह प्रेरणा मिली कि उम्र तो बस एक नंबर है। उन्हें सम्मानित भी किया गया, ताकि हम अपनी पिछली पीढ़ी के ज्ञान और अनुभवों को याद रख सकें। मदर्स वाइव्स का यह कदम सच में पीढ़ियों के बीच के गैप को कम करने और हर माँ को अपनी जड़ों से जोड़ने की एक शानदार कोशिश थी।
कार्यक्रम में कुछ ऐसी महिलाओं ने भी शिरकत की जिनकी अपनी ज़िंदगी और काम दूसरों के लिए मिसाल हैं। इनमें शामिल थीं डॉ. पूजा अग्रवाल, जो एक बड़े कॉलेज ग्रुप की वाइस प्रेसिडेंट हैं; अलवर से आईं डॉ. सरोज रावत, जो गांवों में पर्यावरण और महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा काम कर रही हैं; श्रीमती कमला पोद्दार, जो फैशन टेक्नोलॉजी समेत कई संस्थानों की चेयरपर्सन हैं और महिलाओं को हुनर सिखाने और आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं; और मेजर डॉ. मीता सिंह, जो एक डॉक्टर होने के साथ-साथ एक सैनिक और समाज सेविका भी हैं और हमेशा बराबरी और सम्मान की बात करती हैं।
मदर्स वाइब की फाउंडर, प्रेगनेंसी वेलनेस एक्सपर्ट और लाइफ कोच सोनल अग्रवाल रावत ने कार्यक्रम की शुरुआत में एक बहुत ही प्रेरणादायक भाषण दिया। उन्होंने आज की माँओं की मुश्किलों और उनकी अंदर की ताकत के बारे में बात की। उन्होंने यह भी कहा कि जब हम माँओं को मजबूत बनाते हैं, तो सिर्फ परिवार ही नहीं बल्कि पूरा समाज और देश तरक्की करता है। उनका कहना था, “जब माँ आगे बढ़ती है, तो संसार बदलता है – और हर बदलाव की शुरुआत अपने अंदर से होती है।”
इसके बाद कार्यक्रम में कई दिलचस्प चीजें हुईं, जैसे प्रेरणादायक बातें, काम की टिप्स, मजेदार गेम्स, खुद से बातें करने के सेशन और एक पैनल डिस्कशन, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य के एक्सपर्ट्स, आध्यात्मिक गुरुओं, डॉक्टर्स, कामकाजी महिलाओं और समाजसेविकाओं ने अपने अनुभव शेयर किए। कार्यक्रम का सबसे इमोशनल पल तब आया जब सभी माँओं ने एक साथ मिलकर एक खास मेडिटेशन सेशन में हिस्सा लिया। इससे उन्हें खुद से प्यार करने, शांति महसूस करने और यह सोचने की शक्ति मिली कि ‘मैं सब कुछ कर सकती हूँ’। इस मौके पर सोनल अग्रवाल रावत ने कहा, “मदर्स डे सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, यह खुद के बारे में सोचने का भी दिन है। आज हमने माँओं के लिए एक ऐसी जगह बनाई जहाँ हर माँ खुद को मजबूत, संपूर्ण और प्यार से भरी हुई महसूस करे।” यही मदर्स वाइब की असली पहचान है।